26-06-1994
12:10 AM
दिलबर के नक्श-ए -पा से हम रिश्ता बनायेंगे
बंदगी करेंगे उसको हम अपना खुदा बनायेंगे
बिखेरेंगे मोती तेरे तबस्सुम के उसमे
अश्कों से अपने इक दरिया बनायेंगे
चमकेंगे सितारे तेरी यादों के जिसमे
तेरे ख्वाबों के सहारे आसमाँ बनायेंगे
मुरझायेगा फूल इस चमन में जो भी
पिरो के धागे में उसकी माला बनायेंगे
अब से बिछडेगा जो भी महबूब से अपने
शिरकत कर उसको नया जहाँ बनायेंगे
12:10 AM
दिलबर के नक्श-ए -पा से हम रिश्ता बनायेंगे
बंदगी करेंगे उसको हम अपना खुदा बनायेंगे
बिखेरेंगे मोती तेरे तबस्सुम के उसमे
अश्कों से अपने इक दरिया बनायेंगे
चमकेंगे सितारे तेरी यादों के जिसमे
तेरे ख्वाबों के सहारे आसमाँ बनायेंगे
मुरझायेगा फूल इस चमन में जो भी
पिरो के धागे में उसकी माला बनायेंगे
अब से बिछडेगा जो भी महबूब से अपने
शिरकत कर उसको नया जहाँ बनायेंगे