23-08-1994
6:00 PM
इक तुमसे दिल लगाने से पहले
मेरे दिल का आलम कुछ और था
न समझ थी ग़म-ए-ज़िंदगी की मुझे
जो समझा था वो कुछ और था
कसमसाता था हर दम ये बदन मेरा
जानम गुज़रा ऐसा भी इक दौर था
परेशाँ रहता था क्यूँ ये दिल मेरा
समझ आया मेरी धडकनों का शोर था
6:00 PM
इक तुमसे दिल लगाने से पहले
मेरे दिल का आलम कुछ और था
न समझ थी ग़म-ए-ज़िंदगी की मुझे
जो समझा था वो कुछ और था
कसमसाता था हर दम ये बदन मेरा
जानम गुज़रा ऐसा भी इक दौर था
परेशाँ रहता था क्यूँ ये दिल मेरा
समझ आया मेरी धडकनों का शोर था
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