Translate

Wednesday, July 4, 2012

रंग जो तेरी बिंदिया का होता

09-09-1994
10:00 PM
रंग जो तेरी बिंदिया का होता
किस शौक से तुम माथे पे लगाती

लाली जो तेरे होठों की होता
किस कदर मुझसे प्यार जतलाती

स्याह-मुकद्दर जो मेरा कजरा होता
हुस्न-ए-जानाँ तुम आँखों में बसाती

ग़र नसीबों में होता मेरे प्यार तुम्हारा
किसी न किसी बहाने तुम मुझे बुलाती

No comments:

Post a Comment