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Wednesday, July 4, 2012

मुफलिस के नसीब से क्या रकम लूटी निकली

21-07-1995
3:00 PM
मुफलिस के नसीब से क्या रकम लूटी निकली
सोने-सी संभाल रखी थी दो रोटी सूखी निकली

तमन्नाकश ही रहा सदा भरपेट खाने के वास्ते
जो आस बंधी कभी वो आस भी झूठी निकली

इक रात बहक गया था जब दावत के ख्वाब में
हफ्ता भर के लिए फिर किस्मत रूठी निकली

भर के लाया था पानी जो बच्चों के वास्ते
घर पहुँचा  तो वो हँडिया भी फूटी निकली


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