09-07-2012
12:35 PM
छूते है जब नन्हें हाथ मुझे
खो जाता हूँ नए सँसार में
खुदा जाने इतनी कशिश क्यूँ है
छोट्टे-छोट्टे बच्चों के प्यार में
खेल-खिलोने, गुडिया, गाड़ी
सब सजते है इनके दरबार में
इनकी मुस्कराहट सारे ग़म भुलादे
सारी खुदायी है इनके अंदाज़ में
12:35 PM
छूते है जब नन्हें हाथ मुझे
खो जाता हूँ नए सँसार में
खुदा जाने इतनी कशिश क्यूँ है
छोट्टे-छोट्टे बच्चों के प्यार में
खेल-खिलोने, गुडिया, गाड़ी
सब सजते है इनके दरबार में
इनकी मुस्कराहट सारे ग़म भुलादे
सारी खुदायी है इनके अंदाज़ में
No comments:
Post a Comment