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Tuesday, October 16, 2012

मधु-बेला

मधु-मास के
मधुर-मिलन की
मधु-बेला
तुम हो .............

शबनम, चाँदनी की
शीतलता का
उद्गम स्रोत
तुम हो .............

तुम उष्म
सुबह किरण की लालिमा
प्रेम-सूत्र का पहला
आखरी मंत्र
तुम हो .............

तुम चंचल , निश्छल
निष्काम प्रेरणा
निशि-दिन चाहत
तुम हो ..............

तुम पूर्ण, तुम सम्पूर्ण
तुम पूर्णता में पूर्ण
पूर्णता का पहला
आखरी बिंदु
तुम हो ...............
 

Friday, October 12, 2012

शिकायत भी आप से,


शिकायत भी आप से,
गिला भी आप से,
हर ख्याल भी आप से ,
और प्यार भी आप से,
हर सुबहो का आगाज़ आप से,
और शाम का ख़ुमार आप से,
हर लम्हा मुख़ातिब है आप से,
हर लम्हे की पहचान आप से,

क्या आपको भी है प्यार आप से ?

मंज़र जज्बातों के किस तरह बदल रहे है

30-11-2007
12:05 AM

मंज़र जज्बातों के किस तरह बदल रहे है
सुलगती चिताओं पर चूल्हे जल रहे है

जुस्तजू-ए-रूह से बे-राब्ता है आलम
खौफ़ के सायो में जिस्म चल रहे है

किस पर करे ऐतबार किस से ख़फ़ा हों
हर इक आस्तीन में साँप पल रहे है

खुशबू का पता नहीं ताज़गी भी नहीं रही
गुलशन में किस तरह के ग़ुल खिल रहे है 

Saturday, October 6, 2012

फ़लसफ़ा आपका खूब पहचाना, मगर देर से

फ़लसफ़ा आपका खूब पहचाना, मगर देर से
शिकायते करके मोहब्बत जताते हो आप 

आब-ए-पाक़ भी हूँ पहचान ले मुझे

आब-ए-पाक़ भी हूँ पहचान ले मुझे
गंगा में उतर के पावन बन जाऊँगा 

आब-ए-शर भी हूँ मेरी परवाज देख
ज़हन में उतर मदहोशी बन जाऊँगा

आब-ए-अब्र का अब ज़िक्र क्या करूँ
लबों से लगा तश्नगी मिटा जाऊँगा

आब-ए-हयात भी है इक वजूद मेरा
दिल में उतर मोहब्बत बन जाऊँगा

आब-ए-पाक़ = पवित्र पानी
आब-ए-शर   = शराब ,
आब-ए-अब्र  = बरसात
आब-ए-हयात = अमृत 

Thursday, October 4, 2012

न पहला कभी कदम उठायेंगे

23-08-1994
05:45 PM

न पहला कभी कदम उठायेंगे
बस यूँ ही तुम्हे चाहते जायेंगे

तेरी खुशियों की ख़ातिर सनम
बेशक हम जान से जायेंगे

मंज़र देख लेना ये कभी भी
तुम्हारी राहों में पलकें बिछायेंगे

मोहब्बत कहाँ हुई ज़माने में अब तक
हम मोहब्बत करके दिखायेंगे 

मेरे ख़्यालों में रह-रह कर आने वाले

24-01-1994

मेरे ख़्यालों में रह-रह कर आने वाले
तेरा नाम ही बस मेरा एहतराम है

दिल में बसी है इक तस्वीर तेरी
सिवा दीद के तेरे मुझे क्या काम है

झुकती-सी नज़र आती है ज़ुल्फें तेरी
खत्म सुबह, बस मेरी तो वहीं शाम है

गुजश्ता हो गई हस्ती मेरी यकीं मानों
ज़ुबां पर बस इक तेरा ही नाम है

तेरा दीवाना है मिट जायेगा तुम पर
शहर में आज ये चर्चा आम है

 

छुड़ा के दामन जा तो रहे हो

23-03-1994
11:15 AM

छुड़ा के दामन जा तो रहे हो
सोच समझ लो क्यूँ जा रहे हो ?

मेरी लगी तो बुझ न सकेगी
मिटाए अपनी हँसी क्यूँ जा रहे हो ?

खुश रह सकोगे ऐसे में तुम क्या ?
बहाये अश्कों को अपने क्यूँ जा रहे हो ?

नादाँ हूँ मैं तो समझ सका न
लुटाये अपनी जवानी क्यूँ जा रहे हो ?

समझ सके न जिसे मेरी जवानी
सुनाये ऐसी कहानी क्यूँ जा रहे हो ?

 

Tuesday, October 2, 2012

तुम्हारे एहसान जो मुझ पे क़ायम थे कल तक

21-09-1994
09:20 AM

तुम्हारे एहसान जो मुझ पे क़ायम थे कल तक
बहुत शिद्दत से मैं आज भी महसूस करता हूँ

तुम्हारी आँखों से छलके हुए उन पैमानों की 
वो ख़ुमारी मैं आज भी महसूस करता हूँ

रौनक थी कल तुम्हारी चूड़ियों से दिल में
झंकार चूड़ियों की मैं आज भी महसूस करता हूँ

कल तुम्हारे प्यार ने सँवारी थी ज़िंदगी मेरी
ज़िंदा हूँ उसी बदौलत मैं आज भी महसूस करता हूँ 

तूँ जानती भी है रहती है मेरे ख़्यालों में तूँ

24-01-1994

तूँ जानती भी है रहती है मेरे ख़्यालों में तूँ
तेरे चाँद से चेहरे को नज़रों में बसा लेता हूँ

तूँ छत पर बैठ कर मेरे बारे में सोचती तो होगी
मैं अपने इश्क़ को कुछ इस तरह से मना लेता हूँ

कभी रफ़्ता-रफ़्ता चलती होगी कभी बे-इख़्तियार भी
वहीं बैठा तेरी धडकनों को सहला लेता हूँ

तूँ देख कर मुझको मुँह फेर ले चाहे
हँस कर फिर मैं अपने अश्कों को छिपा लेता हूँ

मेरी हर साँस है तेरी ही तो दी हुई
ये सोच कर मैं अपनी साँसों को बहला लेता हूँ
 

Monday, October 1, 2012

दर्द हो दिल में तो इश्क़ फ़रमाइए

दर्द हो दिल में तो इश्क़ फ़रमाइए
हुस्न-ए-जानाँ के दर्द का लुत्फ़ उठाइए

नसीब ग़र बेपरवाह है हर्ज़ न मानिये
हाथ उठा कर दुआ कीजिये नसीबों को मनाइए

आना-जाना, खोना-पाना सब उसके हाथ है
क्यूँ ना दर्द-ए-दिल फ़िर उसको दिखाइए

अपने ग़मों से आप ही नावाकिफ़ न हो 'दोस्त'
अच्छा रहेगा ग़मों को दिल से मिलवाइए