Translate

Tuesday, October 2, 2012

तूँ जानती भी है रहती है मेरे ख़्यालों में तूँ

24-01-1994

तूँ जानती भी है रहती है मेरे ख़्यालों में तूँ
तेरे चाँद से चेहरे को नज़रों में बसा लेता हूँ

तूँ छत पर बैठ कर मेरे बारे में सोचती तो होगी
मैं अपने इश्क़ को कुछ इस तरह से मना लेता हूँ

कभी रफ़्ता-रफ़्ता चलती होगी कभी बे-इख़्तियार भी
वहीं बैठा तेरी धडकनों को सहला लेता हूँ

तूँ देख कर मुझको मुँह फेर ले चाहे
हँस कर फिर मैं अपने अश्कों को छिपा लेता हूँ

मेरी हर साँस है तेरी ही तो दी हुई
ये सोच कर मैं अपनी साँसों को बहला लेता हूँ
 

No comments:

Post a Comment