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Thursday, October 4, 2012

मेरे ख़्यालों में रह-रह कर आने वाले

24-01-1994

मेरे ख़्यालों में रह-रह कर आने वाले
तेरा नाम ही बस मेरा एहतराम है

दिल में बसी है इक तस्वीर तेरी
सिवा दीद के तेरे मुझे क्या काम है

झुकती-सी नज़र आती है ज़ुल्फें तेरी
खत्म सुबह, बस मेरी तो वहीं शाम है

गुजश्ता हो गई हस्ती मेरी यकीं मानों
ज़ुबां पर बस इक तेरा ही नाम है

तेरा दीवाना है मिट जायेगा तुम पर
शहर में आज ये चर्चा आम है

 

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