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Friday, August 26, 2011

जुबां ही गर फिसल जाये तो क्या करें

  Ghazal                        24-04-1994
                                       06:40 A.M


जुबां  ही  गर  फिसल  जाये  तो  क्या  करें
कहने को कुछ हो कुछ और कह जाये तो क्या करे,


हालत - - परेशानी में सर - - राह जा रहे हो
जलवा - - हुस्न--जानां मिल जाये तो क्या करें


वो  इन्तखाब  करे  ना   करे  ये बात  और  है
खुशबू - - जिस्म से कोई बहक जाये तो क्या करे


बेशक  तेरी  शोखी   देती  है   जिंदगी   सबको
'नितिन' ग़र मरने को बेताब हो जाये तो क्या करें


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