Ghazal 24-04-1994
06:40 A.M
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जुबां ही गर फिसल जाये तो क्या करें
कहने को कुछ हो कुछ और कह जाये तो क्या करे,
हालत - ए - परेशानी में सर - ए - राह जा रहे हो
जलवा - ऐ- हुस्न-ऐ-जानां मिल जाये तो क्या करें
वो इन्तखाब करे ना करे ये बात और है
खुशबू - ऐ - जिस्म से कोई बहक जाये तो क्या करे
बेशक तेरी शोखी देती है जिंदगी सबको
'नितिन' ग़र मरने को बेताब हो जाये तो क्या करें
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