ग़ज़ल - Latest
29-08-2011, 05:10 P.M.
ना जुंबिश है जुबां पे,ना ज़हन में कोई ख़्याल आया है
हर लम्हा हसीँ लगता है, जबसे तेरा चेहरा सामने आया है
अपनी नज़रों से ना कुरेद मेरे ख्वाबों को
जो तीर चला, वो सीधा दिल के पार आया है
बेशक रहने दे राज़ छोट्टी-बड़ी बातों को
इश्क कँहा ? हुस्न से कभी पार पाया है
जाने दे दुनिया के सलीके को दस्तूर समझ के
बस शरीफों पे ही तो यहाँ हर इल्ज़ाम आया है
No comments:
Post a Comment