गुस्ताख़ी कहीं मुझसे हो ना गयी हो
Thursday, August 25, 2011
12:46 AM
गुस्ताख़ी कहीं मुझसे हो ना गयी हो
नज़रें तुम में कहीं खो ना गयी हो
मै चुराता रहा नज़रें तुम्हें देख कर
चोरी नज़रों से कहीं हो ना गयी हो
चाहता कहाँ था, मै शायर बनना
शायरी तुम पे कहीं हो ना गयी हो
रिश्ता तो कुछ भी नहीं हमारा तुमसे
आशनाई तुमसे कहीं हो ना गयी हो
No comments:
Post a Comment