27-05-1997
03:00 P.M
This Ghazal was written to welcome my child in this universe & then on 29-12-1997 my sweet daughter 'Palak' born to fragrance the life. She is the sweetest......................
इक पल में ही मेरी धडकनें बढ़ा गया
प्यार जब अपनी सब हदें भुला गया
साहिल की जुस्तज़ू थी इक उम्र से हमें
लो मुहब्बत का कारवां साहिल पे आ गया
जुनूँ असरदार हो रहा है आँखों में मेरी
तेरी पलकों का बोझ मेरी पलकों पे आ गया
ये खूबसूरत सी निशानी मुहब्बत की ही है
मेरा लख्ते-जिगर तेरे जिस्म में आ गया
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