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Thursday, May 10, 2012

नामुराद शराब ने है मारा मुझ को

26-03-1994
12:45 AM
नामुराद शराब ने है मारा मुझ को 
वरना तो हर हुस्न का है इशारा मुझको 

संगदिल जहाँ  में सब बेवफ़ा थे मगर 
ज़िंदगी में मिला इसका है सहारा मुझको 

जीता तो फिर किसके लिए जीता 
ख़ातिर इसके ही जीना है गँवारा मुझको 

इसको दी दिलासा, हौंसला उसे भी दिया 
ले-दे के ग़म उठाना है सारा मुझ को 

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