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Friday, May 18, 2012

ग़र इजाज़त हो हज़ूर इक टुकड़ा ख्व़ाब मांगता हूँ

ग़र इजाज़त हो हज़ूर इक टुकड़ा ख्व़ाब मांगता हूँ
अपनी खुश-नसीबी  ज़ेर-ए -जनाब मांगता हूँ
मेरी तकदीर का कोई पन्ना ग़र पड़ा है तेरे पास
तो उस पे लिखी इबारत का जवाब मांगता हूँ  

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