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Thursday, May 17, 2012

वो भीगे हुए लम्हे सूखे नहीं है अब तक

17-05-2012
09:15 AM
वो भीगे हुए लम्हे सूखे नहीं है अब तक 
लड़कपन की पहली बारिश में साथ बिताये थे 

लरज़ उठे थे जज़्बात-ओ-एहसास उस वक़्त 
पहली बार जब हमने हाथ मिलाये थे 

न कुछ मैं कह सका न कुछ तुम कह पाए 
कुदरत ने झूम-झूम के कितने गीत गाये थे 

इक मैं था, इक तुम थे और किसका था वजूद ?
हाँ चाँद, सितारे, बादल,घटाएं सब मिलने आये थे 

मैं तो वाकिफ़ न था दुनिया के किसी फ़रेब से 
सारे नज़ारे मुझे बस जन्नत दिखाने आये थे  

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