Translate

Thursday, May 10, 2012

हसरत-ए-ज़िस्म को मोहब्बत का पैकर बनाने वाले

10-05-2011
11:00 AM
हसरत-ए-ज़िस्म को मोहब्बत का पैकर बनाने वाले
ज़माने में देखे है मोहब्बत को रुसवा करने वाले

दैर-ओ-हरम में जाकर अपना सर झुकाने वाले
वजूद-ए-बशर का क़त्ल सरेआम करने वाले

देते है नसीहत सदा दामन-ए-पाक़  की हमें
अपने ज़मीर पे सौ-सौ पैबंद लगाने वाले

तेरा नसीब है जो तुझ को मिल कर  रहेगा
बनते है कई ख़ुदा, तुझको रहमत देने वाले

मेरा इश्क गवाह है तुझको हाज़िर-नाजिर जान के
'नितिन' जिया है तेरे लिए "ओ" जिंदगी देने वाले 

No comments:

Post a Comment