10-05-2011
11:00 AM
हसरत-ए-ज़िस्म को मोहब्बत का पैकर बनाने वाले
ज़माने में देखे है मोहब्बत को रुसवा करने वाले
दैर-ओ-हरम में जाकर अपना सर झुकाने वाले
वजूद-ए-बशर का क़त्ल सरेआम करने वाले
देते है नसीहत सदा दामन-ए-पाक़ की हमें
अपने ज़मीर पे सौ-सौ पैबंद लगाने वाले
तेरा नसीब है जो तुझ को मिल कर रहेगा
बनते है कई ख़ुदा, तुझको रहमत देने वाले
मेरा इश्क गवाह है तुझको हाज़िर-नाजिर जान के
'नितिन' जिया है तेरे लिए "ओ" जिंदगी देने वाले
11:00 AM
हसरत-ए-ज़िस्म को मोहब्बत का पैकर बनाने वाले
ज़माने में देखे है मोहब्बत को रुसवा करने वाले
दैर-ओ-हरम में जाकर अपना सर झुकाने वाले
वजूद-ए-बशर का क़त्ल सरेआम करने वाले
देते है नसीहत सदा दामन-ए-पाक़ की हमें
अपने ज़मीर पे सौ-सौ पैबंद लगाने वाले
तेरा नसीब है जो तुझ को मिल कर रहेगा
बनते है कई ख़ुदा, तुझको रहमत देने वाले
मेरा इश्क गवाह है तुझको हाज़िर-नाजिर जान के
'नितिन' जिया है तेरे लिए "ओ" जिंदगी देने वाले
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