View - एक नज़रिया
जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
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Monday, September 24, 2012
मंज़ूर है तेरा आना शहर में मौसम की तरह
मंज़ूर है तेरा आना शहर में मौसम की तरह
कभी सर्द लहज़ा दे,कभी बरस मोहब्बत की तरह
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