ज़रा सी बात पर वो रूठ कर चला गया
सदिया लग गई फिर उसे मनाने में
मैंने मज़ाक में उसे ईमान कह दिया
वो लौट के आया न फिर ज़माने में
मिटने में उसने इक पल न गंवाया
मेरी उम्र बीत गयी उसे बनाने में
अब बीत गया वो पल जो भारी था
बाकी बस तड़प बची है सुनाने में
सदिया लग गई फिर उसे मनाने में
मैंने मज़ाक में उसे ईमान कह दिया
वो लौट के आया न फिर ज़माने में
मिटने में उसने इक पल न गंवाया
मेरी उम्र बीत गयी उसे बनाने में
अब बीत गया वो पल जो भारी था
बाकी बस तड़प बची है सुनाने में
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