15-08-2009
07:00 AM
भीगा हुआ बदन वो बरसात का समाँ
भूले नहीं भूलता कल रात का समाँ
कपकपाते होंठ वो लरज़ता हुआ जिस्म
रुखसार पर बूँदे वो फ़ुहार का समाँ
अबरू के शिकन वो बाँहों के घुमाव
आँचल को निचोड़ वो निखार का समाँ
कलियों का महकना वो फ़ूलों का बहकना
मदहोश-सा कर गया वो बहार का समाँ
यूँ तो कट रही है मसरुफियत से ज़िंदगी
जीने का लुत्फ़ दिला गया वो प्यार का समाँ
07:00 AM
भीगा हुआ बदन वो बरसात का समाँ
भूले नहीं भूलता कल रात का समाँ
कपकपाते होंठ वो लरज़ता हुआ जिस्म
रुखसार पर बूँदे वो फ़ुहार का समाँ
अबरू के शिकन वो बाँहों के घुमाव
आँचल को निचोड़ वो निखार का समाँ
कलियों का महकना वो फ़ूलों का बहकना
मदहोश-सा कर गया वो बहार का समाँ
यूँ तो कट रही है मसरुफियत से ज़िंदगी
जीने का लुत्फ़ दिला गया वो प्यार का समाँ
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