तक़दीर की बात छोड़ के तूँ मौज ले प्यारे
नसीब रख के एक तरफ़ तूँ खोज ले प्यारे
देने वाले ने उदासी और मुस्कराहट दे दी
तेरी मर्ज़ी है अब किसको तूँ रोज़ ले प्यारे
नसीब रख के एक तरफ़ तूँ खोज ले प्यारे
देने वाले ने उदासी और मुस्कराहट दे दी
तेरी मर्ज़ी है अब किसको तूँ रोज़ ले प्यारे
No comments:
Post a Comment