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Tuesday, September 25, 2012

पलकों पे सज़ाने के लिए कुछ ख़्वाब भेजूँगा

पलकों  पे सज़ाने के लिए कुछ ख़्वाब भेजूँगा
हाँ तुझे तस्वीरों की भी इक क़िताब भेजूँगा
बच्चों की तरह अब ज़िद करना छोड़ दे
अगले ख़त में तुझे नींद का सैलाब भेजूँगा 

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