18-01-1993
01:25 AM
आज हम अपनी मोहब्बत का हिसाब देखेंगे
हुए किस तरह है हम नाकाम देखेंगे
हाँ जोड़ लेंगे उसमे सभी तेरे कस्मे-वादे
भेजे कितने थे हमको पैगाम देखेंगे
साज़िश थी मेरे दिल पर हर इक इनायत
कितना होंगे, कितना हो चुके बर्बाद देखेंगे
सहे कितने है सितम, है कितना जोश बाकी
हम खोल कर अपने दिल की किताब देखेंगे
ज़िया समेट तो लूं तेरे गमों का पहले
क्या था तेरे रूख़ पर फिर नकाब देखेंगे
01:25 AM
आज हम अपनी मोहब्बत का हिसाब देखेंगे
हुए किस तरह है हम नाकाम देखेंगे
हाँ जोड़ लेंगे उसमे सभी तेरे कस्मे-वादे
भेजे कितने थे हमको पैगाम देखेंगे
साज़िश थी मेरे दिल पर हर इक इनायत
कितना होंगे, कितना हो चुके बर्बाद देखेंगे
सहे कितने है सितम, है कितना जोश बाकी
हम खोल कर अपने दिल की किताब देखेंगे
ज़िया समेट तो लूं तेरे गमों का पहले
क्या था तेरे रूख़ पर फिर नकाब देखेंगे