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Wednesday, March 21, 2012

आज हम अपनी मोहब्बत का हिसाब देखेंगे

18-01-1993
01:25 AM
आज हम अपनी मोहब्बत का हिसाब देखेंगे
हुए किस तरह है हम नाकाम देखेंगे

हाँ जोड़ लेंगे उसमे सभी तेरे कस्मे-वादे
भेजे कितने थे हमको पैगाम देखेंगे

साज़िश थी मेरे दिल पर हर इक इनायत
कितना होंगे, कितना हो चुके बर्बाद देखेंगे

सहे कितने है सितम, है कितना जोश बाकी
हम खोल कर अपने दिल की किताब देखेंगे

ज़िया समेट तो लूं तेरे गमों का पहले
क्या था तेरे रूख़ पर फिर नकाब देखेंगे

थोड़ा सा धुआं

थोड़ा सा धुआं उड़ जायेगा, थोड़ी सी राख़ बह जाएगी
सुलग कर मेरी जिंदगी और क्या रह जाएगी
हाँ गर कर लो इकरारे मोहब्बत मुझसे
सांस दो घड़ी और चल जाएगी

Saturday, March 17, 2012

मुद्दत से ज़िक्र नहीं है वफाओं का

मुद्दत से ज़िक्र नहीं है वफाओं का
बदला हुआ है रूख़ इन हवाओं का

बहारें आ भी जाती है, नहीं भी
मिलता नहीं पता इन फ़ज़ाओं का

गुनाह जिंदगी से हुआ भी  नहीं
गुलिस्ताँ खिल रहा है सज़ाओं का 

हुस्न वाले बा-वफ़ा भी होते है
सताया हुआ हूँ मैं इन अदाओं का

तेरी खुशबू में इक अज़ब अदा है

04-01-2001
07:55 AM
तेरी खुशबू में इक अज़ब अदा है
जीने की कला है मौत की सदा है

तेरे तब्स्सुम से कहूं फूल खिलते है
बहारों का तू खुद ही खुदा है

उदासियों के समंदर है कितने गहरे
तेरी आंखें कहाँ गमों से जुदा है

तेरा हुस्न है इक जलता हुआ शोला
मेरा वजूद इसमें जलना बदा है

Friday, March 16, 2012

मस्ती

मस्ती  है  शगल  मेरा  दोस्तों
सांसों में अपनी मौज रखता हूँ
महंगे  है  शौक  मेरे   दोस्तों
सबसे कीमती दोस्त  रखता  हूँ

Wednesday, March 14, 2012

ख़्वाब, रंग और अक्स, हक़ीकत

01-12-2010
10:15 PM
ख़्वाब, रंग और अक्स, हक़ीकत
या हो फिर आस्मां, हवा की बातें

झरने, बादल, बिजली, बारिश,
या हो फिर बस घटा की बातें

कली, फूल हो, महक हो खुशबू
या हो फिर मौसमे ग़ुल की बातें

कुछ भी तो नहीं है तुम बिन
बेशक़ हो सारे जहाँ की बातें

तुमको देखा तो सर झुक गया
ख़त्म हो गयी यहाँ-वहाँ की बातें

Saturday, March 10, 2012

शायर तेरा नसीब

शायर तेरा नसीब मुझे अजीब सा लगता है
ग़म से तेरा रिश्ता मुझे नज़दीक सा लगता है

अपने ही तब्बस्सुम से बेचैन हो उठता है कभी
कभी तमाम उदासीयों  का रक़ीब सा लगता है

किस्से किस तरह तेरे अजीबतर हो रहे है
वजूद ही तेरा अब मुझे तक़सीम सा लगता है

कितने धोखे मिले ज़माने से अब तक
सादा  दिल ही रहा मुझे शरीफ़ सा लगता है 

शायर तेरा नसीब मुझे अजीब सा लगता है
ग़म से तेरा रिश्ता मुझे नज़दीक सा लगता है

Friday, March 9, 2012

खोद कर ज़मीन

 खोद कर ज़मीन इश्क बोया जाये
चलो मोहब्बत के पेड़ों तले सोया जाये

बहुत हो चुकी लहू की रवानगी
... मज़हब को लहू से न भिगोया जाये

हिन्दू-मुस्लिम होकर गुनाहगार बन गये
इंसानियत को अपनी अब धोया जाये

मरते रहे गर यूं लड़-लड़ कर हम
वजूद ही अपना न कहीं खोया जाये

मोहब्बत ही मोहब्बत हो हर इंसान में
सपना क्यूं न इक ऐसा संजोया जाये

Wednesday, March 7, 2012

गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने

24-09-2004
11:45 PM
गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने
जितना भी छेडू,  और बिखर जाते हैं
फीकी हो जाती है ख़ुशीयाँ इक अरसा बाद
ग़म हर अरसा और निखर जाते है

अपने दिल पर मैं हरदम ऐतबार रखता हूँ .....

24-09-2004
07:45 PM
अपने दिल पर मैं हरदम ऐतबार रखता हूँ
मिले ज़ख्म कोई नया इसे तैयार रखता हूँ

अपने  ही देखे  पर अब भरोसा न रहा
कहे कुछ कोई, कहाँ मैं ध्यान रखता हूँ

किस को चाहिए फ़क्त वस्ल ही इश्क में
ग़म-ओ-ख़ुशी हो मैं  इत्मीनान रखता हूँ

हर गाम पर देता हूँ मैं फ़रेब ग़मों को
उदास चेहरे पे इसलिए मुस्कान रखता हूँ








Monday, March 5, 2012

तभी तो खुशियाँ भी ग़म को रोती है

05-03-2012
09:25 PM
तभी तो खुशियाँ भी ग़म को रोती है
हर क्यूं के पीछे इक कसर  होती है

यूं तो बीत ही जाती है जिंदगी ख़ुशी से
"उसके" इक सहारे  की कसक  होती है

जब लुट चुका हो जज़्बातों का कारवां
"उसको" भी बस तब ही  ख़बर होती है

यही है हक़ीकत इसे ज़िंदगी कहते है
ये ज़िंदगी तो बस यूं ही बसर होती है

Saturday, March 3, 2012

मुझसे जो मिलो तो तक्लुफ्फ़ न रखना

03-03-2012
12:05 PM
मुझसे जो मिलो तो तक्लुफ्फ़ न रखना
कह देना दिल की बात बाकी  न रखना


लबों को बोल देना आज बोलना  पड़ेगा
मोत़ी से दांतों को भी बिखरते  रखना

आँखों को चमकने,पलकों को झपकने देना
जुल्फें  उड़े जिधर कोई परवाह न रखना

ज़ेहन को कह देना मदहोशी का है आलम
ख्वाबों की तासीर को हक़ीकत में रखना









Thursday, March 1, 2012

कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है

01-01-1995
10:30 PM
कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है
जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है

काश ! कुछ ऐसा होता इस जहाँ में की
ख़ामोशी बयाँ दिल की हालत करती

सच जानिए ये भी है दावा मेरा
बेतरह से फिर आप हम पर मरती

मगर हक़ीकत-ए-जहाँ में ऐसा रिवाज़ नहीं है
आगाज़-ए-इश्क तो है यहाँ अंज़ाम नहीं है

जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है
कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है

मुझको नहीं है कोई भी शुबहा तुम्हारे प्यार में

01-03-2012
01:15 PM
मुझको नहीं है कोई भी शुबहा तुम्हारे प्यार में
डरता हूँ तूँ रुसवा न हो जाये मेरे इज़हार से

दिल से मिल ही गया जब दिल का नज़रिया
सोचो फिर रह ही गया क्या इकरार में

वस्ल का सकून तो पल भर का रहा हज़ूर
उम्र भर का कऱार है तेरे इंतज़ार में

तुमको अपना माना तो जल गया ज़माना
ख़ुशी देखी नहीं जाती मेरी संसार से
दोस्तों को नहीं कभी भूले है हम
"दोस्त" तुमको भी इक समझते है हम
यूं तो हर दुआ तुम्हारे साथ है
समझो तो हम सदा तुम्हारे साथ है
पर ले लो इनको भी कुछ देते है हम
"सुप्रभात"के जरिये ही कहते  है हम
मुस्कराती रहो गाती रहो हे हर दम
खुशियाँ सरे जहाँ की पाती रहो तुम  
दुआ की है गम दूर से भी देखने को न मिले
मिले तो बस ख़ुशी सारी जिंदगी में मिले