04-01-2001
07:55 AM
तेरी खुशबू में इक अज़ब अदा है
जीने की कला है मौत की सदा है
तेरे तब्स्सुम से कहूं फूल खिलते है
बहारों का तू खुद ही खुदा है
उदासियों के समंदर है कितने गहरे
तेरी आंखें कहाँ गमों से जुदा है
तेरा हुस्न है इक जलता हुआ शोला
मेरा वजूद इसमें जलना बदा है
07:55 AM
तेरी खुशबू में इक अज़ब अदा है
जीने की कला है मौत की सदा है
तेरे तब्स्सुम से कहूं फूल खिलते है
बहारों का तू खुद ही खुदा है
उदासियों के समंदर है कितने गहरे
तेरी आंखें कहाँ गमों से जुदा है
तेरा हुस्न है इक जलता हुआ शोला
मेरा वजूद इसमें जलना बदा है
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