24-09-2004
07:45 PM
अपने दिल पर मैं हरदम ऐतबार रखता हूँ
मिले ज़ख्म कोई नया इसे तैयार रखता हूँ
अपने ही देखे पर अब भरोसा न रहा
कहे कुछ कोई, कहाँ मैं ध्यान रखता हूँ
किस को चाहिए फ़क्त वस्ल ही इश्क में
ग़म-ओ-ख़ुशी हो मैं इत्मीनान रखता हूँ
हर गाम पर देता हूँ मैं फ़रेब ग़मों को
उदास चेहरे पे इसलिए मुस्कान रखता हूँ
07:45 PM
अपने दिल पर मैं हरदम ऐतबार रखता हूँ
मिले ज़ख्म कोई नया इसे तैयार रखता हूँ
अपने ही देखे पर अब भरोसा न रहा
कहे कुछ कोई, कहाँ मैं ध्यान रखता हूँ
किस को चाहिए फ़क्त वस्ल ही इश्क में
ग़म-ओ-ख़ुशी हो मैं इत्मीनान रखता हूँ
हर गाम पर देता हूँ मैं फ़रेब ग़मों को
उदास चेहरे पे इसलिए मुस्कान रखता हूँ
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