View - एक नज़रिया
जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
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Wednesday, March 21, 2012
थोड़ा सा धुआं
थोड़ा सा धुआं उड़ जायेगा, थोड़ी सी राख़ बह जाएगी
सुलग कर मेरी जिंदगी और क्या रह जाएगी
हाँ गर कर लो इकरारे मोहब्बत मुझसे
सांस दो घड़ी और चल जाएगी
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