24-09-2004
11:45 PM
गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने
जितना भी छेडू, और बिखर जाते हैं
फीकी हो जाती है ख़ुशीयाँ इक अरसा बाद
ग़म हर अरसा और निखर जाते है
11:45 PM
गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने
जितना भी छेडू, और बिखर जाते हैं
फीकी हो जाती है ख़ुशीयाँ इक अरसा बाद
ग़म हर अरसा और निखर जाते है
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