Translate

Wednesday, March 7, 2012

गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने

24-09-2004
11:45 PM
गीले कागज़ की तरह हो गए रिश्ते अपने
जितना भी छेडू,  और बिखर जाते हैं
फीकी हो जाती है ख़ुशीयाँ इक अरसा बाद
ग़म हर अरसा और निखर जाते है

No comments:

Post a Comment