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Thursday, March 1, 2012

मुझको नहीं है कोई भी शुबहा तुम्हारे प्यार में

01-03-2012
01:15 PM
मुझको नहीं है कोई भी शुबहा तुम्हारे प्यार में
डरता हूँ तूँ रुसवा न हो जाये मेरे इज़हार से

दिल से मिल ही गया जब दिल का नज़रिया
सोचो फिर रह ही गया क्या इकरार में

वस्ल का सकून तो पल भर का रहा हज़ूर
उम्र भर का कऱार है तेरे इंतज़ार में

तुमको अपना माना तो जल गया ज़माना
ख़ुशी देखी नहीं जाती मेरी संसार से

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