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Tuesday, February 14, 2012

दिल खोल कर अपना दिखा सकोगे ?

20-08-1994
5:30 PM

दिल खोल कर अपना दिखा सकोगे ?
क्या ग़म-ए-ज़िंदगी का बोझ उठा सकोगे?

तुम्हारे हुस्न की अदाएं मै समझ रहा हूँ
वफा-ए-इश्क की रस्में निभा सकोगे ?

ये वो शय नही कोई उड़ा दे रंग इसका
तस्वीर-ए-मोहब्बत को दिल में बिठा सकोगे ?

सहना मुश्किल है दुश्वारिया ज़माने की
दामन-ए-वफा को रुसवाई से बचा सकोगे ?

सौदे बाज़ी का नही खेल इश्क है ये
अपना सब कुछ क्या इस पे लुटा सकोगे ? 

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