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Tuesday, February 21, 2012

मेरे दिल में आग लगा के मुस्कराते है वो

22-04-1994
07:00 PM
मेरे दिल में आग लगा के मुस्कराते है वो
पहले तो नज़र मिलते है, फिर नज़रें चुराते है वो

किसको पता?किसको ख़बर? कौन जनता है ये?
दीवाना बना कर अपना अब नाज़ दिखाते है वो

जीना मुहाल किया है पहली ही नज़र में मेरा
जैसे जानते नहीं ऐसे सामने से गुज़र जाते है वो

कैसी उल्फ़त? कैसा इश्क? कैसी मुहब्बत की रज़ा?
झटक के ज़ुल्फ़ों को किस कदर इतराते है वो

मैं फ़िराक में हूँ बस इक इशारे की उनकी
झुका के पलकें अदा से फ़कत शरमाते है वो

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