28-05-1997
11:00 PM
छूना चाहता हूँ मै
उन उंचाईयों को
डूबना चाहता हूँ मै
उन गहराईयो में
बदन के हर मोड़
से गुज़रकर
जो पहुंचादे मुझे आत्मा
की धरती पर
उस धरती पर मै एक
फूल उगाना चाहता हूँ
जो बोल सके
हंस सके
खेल सके
अपने मासूम हाथो से
मुझे छू सके
एक विशाल स्तम्भ
बनकर
जो दुनिया से
कह सके
हां ! मै तेरे प्यार की
निशानी हूँ !
11:00 PM
छूना चाहता हूँ मै
उन उंचाईयों को
डूबना चाहता हूँ मै
उन गहराईयो में
बदन के हर मोड़
से गुज़रकर
जो पहुंचादे मुझे आत्मा
की धरती पर
उस धरती पर मै एक
फूल उगाना चाहता हूँ
जो बोल सके
हंस सके
खेल सके
अपने मासूम हाथो से
मुझे छू सके
एक विशाल स्तम्भ
बनकर
जो दुनिया से
कह सके
हां ! मै तेरे प्यार की
निशानी हूँ !
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