09-09-1994
11:10 PM
मेरा इश्क तभी परेशान रहा होगा
वो हुस्न इसका दरबान रहा होगा
वो लुभाता रहा होगा इसे वादों से
ये हर वादे पे कुरबान रहा होगा
किसको फ़ुरसत जो टटोलता मेरे दिल को
वो चोर इसका निगेहबान रहा होगा
मुझे नहीं ख़बर मेरा घर कहाँ गया
वो कमजर्फ़ मेरा मेहमान रहा होगा
11:10 PM
मेरा इश्क तभी परेशान रहा होगा
वो हुस्न इसका दरबान रहा होगा
वो लुभाता रहा होगा इसे वादों से
ये हर वादे पे कुरबान रहा होगा
किसको फ़ुरसत जो टटोलता मेरे दिल को
वो चोर इसका निगेहबान रहा होगा
मुझे नहीं ख़बर मेरा घर कहाँ गया
वो कमजर्फ़ मेरा मेहमान रहा होगा
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